Hindi Quote in Poem by महेश रौतेला

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यही गगन था,यही आसमान था
मेरे बालपन का खुला प्रसंग था,
यही राह थी,सैकड़ों कदम थे
ऊँचे क्षितिज से सूर्य का आगमन था।

यहीं विद्यालय, यहीं बालपन था
छूटी हँसी का हरित उद्यान था,
धूल में लिपटे कदम जो यहाँ थे
वही खेत में, वही स्कूल में रहे थे।

वनों की छाया,वनों की छवि
हमारे सुरों में छाया हुआ मन,
यहीं छूटी थी बालपन की निशानी
यही गगन था,यही आसमान था।

यहीं धरा का हरा आँचल था
नदी के किनारे मेला लगा था,
मन ने भाव यहीं पर किया था
यहीं पानी था,यहीं जल मिला था।

जीवन ने उदाहरण यहीं पर दिये थे
सीधे वृक्षों पर यहीं चढ़े थे,
कागज के जहाज यहीं उड़े थे
जल प्रपात यहीं पर दिखे थे।

अनन्त की यात्रा यहीं पर रूकी थी
अनन्त की यात्रा फिर से चली थी,
आना और जाना यहीं लगा था
यही गगन था,यही आसमान था।
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*** महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111949634
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