Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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जन्माष्टमी विशेष - फिर जन्म लेना
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हे माखन चोर कृष्ण कन्हैया नंद के लाला
अब जब धरा पर आपका आगमन हो ही रहा है
तब क्या हम अबलाएं फिर से
ये भरोसा कर सकती हैं?
कि अब हमारा मान सम्मान सुरक्षित रहेगा,
कोई हमारा चीर हरण नहीं कर पायेगा
हमारी अस्मत को कोई नहीं रौंद जायेगा
और अब हमें बेमौत मरना भी नहीं होगा।
अब हमारी रक्षा के नाम पर
अब कोई तमाशा भी नहीं होगा
बेहयाई से हमारा नंगा नाच नहीं कराया जायेगा?
क्या आज हमारे सवालों का जवाब मिल पायेगा?
या हमारा तमाशा आगे भी यूँ ही बनता रहेगा।
हे कृष्ण! अब मौन तोड़ो, कुछ तो बोलो
या तुम भी हमारा उपहास करोगे,
कौरवों की भीड़ का हिस्सा बन अट्टहास करोगे?
हे मधुसूदन! यदि तुम्हें भी मौन ही रहना है
तो फिर कृष्ण जन्माष्टमी,
जन्मोत्सव मनाने का आखिर मतलब क्या है?
हे विष्णु अवतारी, हे केशव
तुम भी तो कुछ शर्म करो या अपना मुँह छिपाते फिरो,
अच्छा तो यह होगा कि तुम अब जन्म ही न लो,
धरा पर अवतरित होने का विचार त्याग दो,
कम से कम हमारी उम्मीदें तो जिंदा रहेंगी
लुटते पिटते हुए भी तनिक आस तो रहेगी।
हे वासुदेव! माना कि हम लाचार हैं
फिर भी लड़ती हैं कलयुगी भेड़ियों से
कभी जीतती, तो कभी हार भी जाती हैं
और बहुत बार तो दम भी तोड़ देती हैं
पर कभी हार नहीं मानती हैं,
तुम्हारी तरह मुँह तो नहीं चुराती हैं।
हे कृष्ण! हमारी पीड़ा का यदि तुम्हें
तनिक भी अहसास हो रहा है
तो धरा पर आने से पहले सोच विचार कर लेना
हमारे लिए कुछ करना हो तो ही आना
बेवजह हमारी उम्मीदों का उपहास मत करना।
या फिर चुपचाप देवकी के गर्भ में ही छुपे रहना
बस हमारा इतना ही है कहना।
जिसे तुम सुनना, समझना और कुछ हो तो करना
या फिर चैन की बंशी ही बजाते रहना,
और हमें हमारे हाल पर छोड़ देना,
धरा पर आने से पहले हमारे हरेक सवाल पर
विचार जरूर से जरूर कर लेना।
हम तुम्हें यूँ ही छोड़ेंगे भी नहीं,
मेरे सवालों का जवाब तो तुम्हें देना ही पड़ेगा,
इसलिए कोई नादानी करने से पहले
सौ सौ बार सोच लेना और फिर धरा पर जन्म लेना,
तब ही अपने जन्मोत्सव का आनंद लेने धरा पर आना
इस जन्माष्टमी को हमें भी कुछ उपहार दे देना,
हमारे साथ साथ अपनी भी लाज बचा लेना,
पापियों, अधर्मियों, अपराधियों, देशद्रोहियों का
धरा से नामोनिशान मिटा देना,
अपने अवतरण का औचित्य दुनिया को बता देना,
फिर चाहे माखन चुराना, गैय्या चराना या फिर
गोपियों संग रासलीला रचाना,
पर हमें फिर से न भूल जाना।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111948608
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