पुरानी यादें
क्यों दोस्त.......?
आज फिर उसी पल को याद कर रहा है ना,
जब गिर पड़े थे हम दोनो साथ,
या फिर अंतिम पंक्ति में खड़े रहने के मजे,
तू तो शायद भूल गया होगा अपना याराना।
तुझे अब कहा वास्ता है पुरानी यादों का,
अपार संपत्ति का जो मालिक बन गया है,
पैसों की खनक ने तुझे सब कुछ भुला दिया है,
कभी तू पैसों के मोती को उतारकर,
जीवन में पहन ले यादों के मोती।
तब रख देना तराजू में दोनो ओर,
एक ओर दौलत एक ओर अपनी यादें,
देखना तब तुम वजन यादों का भारी होगा,
हम सब तुझे याद करते है तुम भी किया कर,
यह जो माया के चक्कर में,
तूने भुला दी है अपनी यादें,
फिर एक बार अपने आप से रूबरू हो जा,
और मिल ले अपने आप से अपनी यादों से,
देख लेना एकाएक गिर ही जायेंगे तेरे आसूं भी,
तब होगी सवालों की अनगिनत बौछार तेरे मन पर,
और झकझोर देगी तेरे मन के समंदर को और ,
निकाल लाएगी वोही पुरानी यादों को।
भरत (राज)