तैश से तेरे डर जाऊँगा इससे ज़ियादा क्या होगा
फिर मैं हद से गुज़र जाऊँगा इससे ज़ियादा क्या होगा
झील या दरिया या सागर भी पड़ने लगेंगे कम जब तो
आँख में तेरी उतर जाऊँगा इससे ज़ियादा क्या होगा
सदियों से इक चाँद के ख़ातिर जगता हूँ मैं रातों में
तारों सा मैं बिखर जाऊँगा इससे ज़ियादा क्या होगा
दिल में तिरी तस्वीर लिए अब पागल सा मैं फिरता हूँ
प्रेम में तेरे मर जाऊँगा इससे ज़ियादा क्या होगा