मैं , तुम और बारिश
बारिश का मौसम आया हैं , फीर से तुम्हारी याद आई , हम मिले थे बारिश पहली बार, जब मैं ने उसे पहली बार देखा था , तब बारिश का मौसम था ,
वो वक्त भी आज भी याद है मुझे , पहली मुलाकात, पहली बाते , पहली चाय, और तुम्हारे बीते वक्त आज भी याद है, हा पता हैं, की अब तुम नहीं आओगे लोटे के। , पर क्या करें ये बारिश भी तुम्हारी , यादें लेके फीर आ गई , कुछ साल पहले हम एक जगह, बारिश में मिले थे , पर आज वही जगह है , वही बारिश है , पर तुम नहीं हो। , ये भी पाता है, की अब तुम नहीं हो , पर यादें तो यादें ही होती है , उसे भुलाया नहीं जा सकता , में आज भी वही हूं , अभी भी तुम्हारे इंतजार मैं , की तुम फीर से लौट के आजा ओ , वही फीर से बारिश , वही फीर से खुशियां , मेरा रूठना , और फीर से तुम मुझे मनाना , वही वक्त , वही चाय , वही जगह सब लेके फीर से आ जाए ।