અજાણ્યો પત્ર - 19
किसी शाम जब सपनो में तुम दुल्हन बन कर आती हो! तब न जाने क्यूं? ये रंगीन फिजाएं अपने रंगरूप बिखरने लगती है! आसमान में चमकते तारे बन कर बाराती नाचने लगते है! ठंडी हवाएं चिड़ियों के संग गुनगुनाने लगते है! और चांद चुप कर कहीं बादलों में अपने ही सौंदर्य को देख जलने लगती हैं!