कभी आना

कभी आना तो मेरे लिए वो शाम लाना
कभी आना तो दो वक्त की बातें तमाम लाना
कभी आना तो वो चाँद जरूर लाना
जो देखें थे साथ तुम्हारे देर तक...

कभी आना तो वो भीगे होंठो के जाम लाना
कभी आना तो वो साँसों का गुलफाम लाना
कभी आना तो वो झिलमिलाती मुस्कान लाना
जो देखें थे छुप- छुपकर कुछ देर तक...

कभी आना तो वो आँचल के घेरे लाना
कभी आना तो वो रातों की नींद लाना
कभी आना तो वो चैन और सुकून लाना
जो खोए दोनों साथ में देर तक...

कैसी तेरी मर्जी है
कैसा तेरा अफसाना
मैं हूँ तुझसे दूर बहुत
क्या है वक्त का अनजाना

मनोज कुमार गोण्डा उत्तर प्रदेश

Hindi Poem by Manoj Kumar : 111936039
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