चक्की सिद चली गई मुझ थी दूर,
ना जाए तेरे बिना एक पल।
हर एक क्षण तेरी यादें मुझे तड़पाती है।
मैं तेरा प्यार बनके पल पल चक चक करता रहता हूं,
कौन सुनता है मेरी पुकार हर एक पुकार में तेरा नाम जपता हूं।
कितने सजाये थे तेरे और मेरे अरमाने,
कोई अनजान मानव ने बनाया था,
हमारा चिड़िया का घोंसला।
नहीं पता मुझे की कौन ले गया तुझे और मेरे बच्चे को।

सारे दिन सजाए थे हमने तेरे और मेरे सपनों की दुनिया, और हमारे बच्चों की परवरिश की।
इस घोंसले को बनाने के हमने तीनका तीनका डाल कर एक हमारा सजाया था अपना घर।

हमारी भी कोई एक दुनिया होगी,हम और हमारे बच्चे होंगे, हम भी नाचेंगे खेलेंगे कुंदेगे और इस को बड़ा करेंगे उसे भी उसकी पंख से हमारी दुनिया दिखाएंगे,
गगन तले घूमने जाएंगे और खूब पंख उड़ाएंगे इस जहां में,

जब यह कालक्रमी रात ढली, पता नहीं की कौन ले गया तुझे और मेरे बच्चे को,
मुझे तो लगा कि यह मानव ही तुम्हारी जान ले गया। नहीं नहीं ये इतने क्रूर नहीं हो सकते ये मानव। मुझे सच में यह लगने लगा है कि तुझे और मेरे बच्चे को एक काल कटौती बिल्ली ही ले गई है।
जब हमने सुबह आकर देखा तो हमारे घोंसले में सुना सुना घोंसला ही रह गया था।
नहीं थी तुम और हमारे बच्चे।
सारी दिन रात में तड़पता रहता हूं,,,
मेरी पुकार तेरी आत्मा तक सुनाई दे तो,आजा ओ मेरी चिड़िया रानी।
आ जाओ मेरी चिड़िया रानी।
आ जाओ मेरी चिड़िया रानी।
आजा ओ मेरी चिड़िया रानी।
आजा ओ मेरी चिड़िया रानी।

Hindi Poem by jyotsana Thakor : 111929178

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