जी चाहता है by Dy
जी चाहता है
कही चला जाऊ इस दुनिया से दूर
जहा से वापस कभी लौट ना पाउ
समा जाउ आग की गोद मे
कभी जहा से निकल ना पाउ
जी चाहता है
छोर दु जीवन के इस कचे धागो को
कभी दुबारा इन्हे पिरो ना पाउ
सो जाउ रात की इस चाँदनी मे
कभी दुबारा नींद से उठ ना पाउ
जी चाहता है
उड़ चलु हवाओ पर सवार होकर
कभी जमीन पे उतर ना पाउ
खो जाउ समय के चक्रव्यूह में
कभी उसमे से से निकल ना पाउ
जी चाहता है