लूलूट जाने को ऐ इंसान तेरे पास है ही क्या
क्या लाया था जहाँ मे और क्या लेकर जाएगा
बाद मौत के शरीर राख, नाम धुवे मे खो जाएगा
जितना समेट रहा है यहाँ सब यही रह जाएगा
ये सत्य है यह भी, ना तू जान पाएगा
तेरा अपना खुद तुझे आग मे झोँक जाएगा
अंत समय कोई तेरा नाम भी ना पुकारेगा
एक हार के पीछे टंगी हुई तस्वीर बन जाएगा
तू अपने ही बनाए मंदिर में आत्मा कहलाएगा
ये संसार तब भी तुझे कहाँ पहचानेगा
ये झूठी मोह माया से फिर भी ना तू बच पाएगा
यही धर्म चक्र है तू फसता चला जाएगा
तू खाक है खाक में ही मिल जाएगा
ये डोर जीवन की तू नाप ना पाएगा
वरदान अमरत्व का ना हासिल कर पाएगा
जीवन मृत्यु के खेले से ना बच पाएगा
के ना तू संत ना साधु ना महंत हो पाया
तू अपने दिल से पूछ क्या इंसान बन पाया
ना सत्य ना तप ना दया ना दान कर पाया
लूट गया जो कहता है , बता तूने संसार में आखिर क्या पाया.....?????