इसे भी हम सरलता से समझ सकते ही कि जैसे कोई गमला और उसके अंदर रहा कोई सा भी पौधा हमे बाकियों से ज़्यादा पसंद है, तो हमारा ज़्यादातर ध्यान उसपे रहता है और बाकियों पे उससे कम रहेगा। इसी तरह ज़िंदगी मे भी है, किसीको हम ज़्यादा प्यार जताते है जो हमे ज्यादा पसंद है और बाक़ियों को उसकी प्रत्यक्ष थोड़ा कम दे पाते है। लेकिन Expectation तो सबकी रहेगी ना की हमे भी प्यार मिले जितना उसे मिल रहा है। जो कभी भी मुमकिन नही हो सकता। जो आगे बढ़कर सबंधो में issues खड़े करता है।
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"Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti
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