इंतजार
जरा तुम मेरा इंतजार करना, मैं आती हू l
लिख रहा था मैं, उसपे गझल दिल से,
बोली जरा ठहर जावो, सजधज के मैं आती हू l
मैफिल उसके लिये मैने सजाई थी,
बोली थाम के रखो लब्ज , शाम ढलने तक आती हू l
बैठा हू उसके ही इंतजार मैं,अब दीन भी ढला,
सूरज भी डुब गया,हसीन रात भी गुजर गई,
एक ही उसके वादे पे मैं अबतक जिंदा हू,
शायद वो एक बार आके कहे,
सांस अपनी रोख के रखो, मैं आती हू...
-Author Sangieta Devkar.Print Media Writer