आज सपने में अपनी मौत को क़रीब से देखा,
कफ़न में लिपटे तन, जलते अपने शरीर को देखा,
खड़े थे लोग हाथ बांधकर कतार में ,
कुछ थे परेशान, कुछ उदास थे ,
पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे ,
दूर खड़ी देख रही थी मैं ये सारा मंज़र,
तभी किसी ने हाथ बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया,
और जब देखा उसका चेहरा तो में बड़ी हैरान थी,
हाथ थामने वाला कोई और नहीं, मेरा भगवान था,
चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाव था,
जब देखा मैंने उसकी तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से,
तो हंसकर बोला,
तूने हर दो घड़ी जपा मेरा नाम था,
आज प्रिय उसका कर्ज़ चुकाने आया हुं,
रो दी मैं अपनी बेवकूफी पर तब ये सोचकर,
कि जिसको दो घड़ी जबा वो बचने आया है,
और जिनमें हर घड़ी रमी रही वो शमशान पहुंचने आया है,
तभी खुली आंख तो बिस्तर पर विराजमान थी,
कितनी थी नादान मैं हकीकत से अंजान थी,
ॐ नमः पार्वती पतेय, हर हर महादेव ....🙏🏻🙏🏻