Hindi Quote in Poem by Pragati Gupta

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नन्ही चिड़ी-सी माँ
- प्रगति गुप्ता

उसके घर में न
कोई दरवाज़ा है न खिड़कियाँ
सिर्फ़ खुला आकाश और
कुछ छाँव भरी पत्तियाँ...

नन्हों के जनमते ही
लेकर तिनकों का सहारा
उसने नीड़ को बना लिया
अपनी तपोभूमि-सा..

हर रोज़ आँधी-तूफानों से
जूझता उसका बसेरा,
फैलाकर परों को ढाँप लेती
बनाकर कवच कनात-सा..

देखकर नन्ही-सी चिड़ी को
अनायास ही याद आती मुझे माँ
और उसका अथाह ममत्व
जो फैला कर आँचल
मन ही मन में करती रही
असंख्य व्रत और अर्चना,
लेने को कष्ट स्वयं पर
ताउम्र बनती रही
सुरक्षा कवच-सा...

(दैनिक नवज्योति में
प्रकाशित)
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Hindi Poem by Pragati Gupta : 111878753
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