खोज में हूं किसी अनकहे चाह कि,
ख़ोज में हूं किसी अंजान अपने कि।
शायद!
पा लिया है तुझे, फिर ये दूरी क्यों?
तुम मेरे हों, तो ये बेरूखी क्यों?
जहन-ओ-दिल मे है बेसुमार प्यार,
फिर न जाने कौन सी घड़ी का है इंतजार।
तुम मेरे हों, तुम्हें कह भी नहीं सकती,
तुमसे दूर जाऊ, मैं ये भी कर नहीं सकती।
Part-1
@panchhi