"मुझे याद है,, आज भी वो गुजरा जमाना..
जिसमें संजो रखा है "बचपन का अफसाना"
छ: साल की उम्र,
'परीक्षा की उत्तर पुस्तिका को परचा सहित घर लाना'
माँ की डांट,दादी का समझाना
माँ के द्वारा तुंरत विद्यालय वापस जाना
हर साल परीक्षा में शिक्षकों द्वारा.
समझाया जाना...
बेटा परचा घर ले जातें हैं
उत्तर पुस्तिका नहीं और मेरा झेप जाना.. "
---डॉ अनामिका---

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111867162

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