कारीगर
मेरा प्यारा साथी, बहुत बड़ा है कारीगर
टूटा-फूटा कर दे ठीक, बड़ा है बाजीगर।
टूटे दिल भी जाने कितने, उसने जोड़े हैं
अनगिनत भ्रमित, रिश्तों के रुख मोड़े हैं।
घर के बर्तन हों, नल, फ़्रिज या हो फ़र्नीचर
कर कर के मरम्मत, दुरुस्त वह कर देता।
चप्पल- जूता कुछ भी हो, प्रतिभाशाली वो
पड़े ज़रूरत तो वस्त्र भी सिलकर दे देता।
जोड़ने का एक द्रव्य, एमसील जो होता है
उस से मेरे मीत की, मानो जन्मों की है प्रीत।
कोई भी सामान हो टूटा, उस से जुड़ जाएगा
मानेगा वो उसको, जैसे सबसे बड़ी है जीत।
अनजाने में टकराया था, प्याले से प्याला
उस टकराने में, चटक गया था एक प्याला।
बजने लगा मन-सितार का द्रुत-लय झाला
न था कोई ग़म, भले छलक गई थी हाला।
सुनके झंकार, अगले ही पल प्रियतम आया
जानके प्याला चटका है, था ख़ूब वो हर्षाया।
बहुत दिनों के बाद, उसे अब काम मिला था
मन-मयूर नाचा, और मुख-कमल खिला था।
मनोयोग से जुट गया था, वह अपने काम में
तपस्वी खो जाए सब भूल, जैसे राम-नाम में।
लैंस से भी दिखती नहीं, बारीक सी दरार है
वह बोला! जुड़ गया देखो, आ गया करार है।
अरे! चटका प्याला तो अब भी चटका है
तुमने तो साबुत प्याले को ही जोड़ दिया।
पूरा हैंडिल तो दरार पर, देखो अटका है
इसको तो तुमने वैसे का वैसा छोड़ दिया।
दोनों प्याले एक दूजे को निहार रहे हैं ऐसे
रोएँ या हँसें ? मन में ये विचार रहे हों जैसे।
अंतत: वे दोनों ही ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे।
हँसते - हँसते दोनों ही लोटपोट होने लगे।।
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अभिव्यक्ति - प्रमिला कौशिक
19/2/2023
दिल्ली