Hindi Quote in Poem by अनुभूति अनिता पाठक

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जब तक पूरा था तो सजाया गया
अधूरा होते ही वो बेकार हो गया
गुलाब ही तो था हर हाल में वो
कभी कचड़ा तो कभी हार हो गया
ज़िंदगी भी कुछ ऐसे लोगों से मिलवाती है
जो उनको ठीक लगे तो रिश्ता है
और नहीं तो बस एक व्यापार हो गया
राह चलते मिल जाते हैं कुछ दरख़्त मुझसे
कभी छांव दिया करते थे जो राहगीरों को
आज सूखी टहनियां गवाह हैं उसके हरे होने की
बूढ़ा होते ही वो शहर से बेजार हो गया

यूं हीं ....😊
अनिता पाठक

Hindi Poem by अनुभूति अनिता पाठक : 111832470
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