गमो ने हाथ छोडा कब था राहो में
धूप मे उन्हे साया समजकर चल पडे
जिंदगी यू तो सुना है हमने भी कई बार
किसी और से तुम्हे
तुम कही मिलो तो तुम से बात बढे
फितरते बदलते लोग, कल कुछ और ही कहेते थे
अब जो सामने आये तो, करलेंगे हाथ खडे
मौत को यू ही बदनाम किया है जमाने ने
कितना कुछ सहा था,
खोया था,
रोया था,
गिड गिडाया था
किसी के साथ के लिये,
किसी अपने के हाथ के लिये
वो आदमी,
उसे जिने की कोई इक वजहा तो मिले.
फिर ना कहना बुजदिल था जो जान दे दी
जिंदा था तो कभी कस के मिले थे गले
ऐ, नमाजो मे, मिन्नतो में, दुवाओ मे
खुदा से सलामती की खैरात मांगने वालो
पत्थर, और पत्थर के बुथ सारे
है बस नाम के वो, है सच्च तो कभी सामने से आ के मिले