लघुकविताएँ
ज्ञानप्रकाश पीयूष
1.संवादों की दुनिया में
संवादों से बेहतर है
मौन की भाषा
जो बिना कुछ बोले
असर करती है
मगर चुप्पी भी
लोगों को
बेवजह खलती है
लंबी चुप्पी
नुकसानदेह होती है
संवादों की दुनिया में।
*
2, सबमें है उसी का उजास
अग्नि में तेज
चांद-तारों में चमक
सूर्य में दिव्य आभा
सब में है
उसी का उजास
होता है मुझे
हरपल आभास।
*
3. बालक लघुकविता-सा
बालक है
लघुकविता-सा
भाषा सरल
जिज्ञासा विरल
भावना प्रधान
संवेदना की खान
कल्पना अद्भुत
बिम्ब महान।
*
4. प्रगतिवादी कदम
विकास की यात्रा में
लघुकविता
है प्रगतिवादी कदम
लघु आकार
शिल्प नवीन
शैली प्रवीण
अभिव्यक्ति प्रखर
मारक अंत।
*
5. फ़र्ज
घोर तिमिर था
दिया मैंने जलाया
फ़र्ज अपना निभाया
जर्रा-जर्रा रोशन
घर-आंगन में रौनक
सबके मन को भाया।
*
6. प्रेम बहता है आत्मा में
प्रेम
जीवन का
सार है
मन का
निखार है
जगमगाता
सच्चे मोती-सा
बासी कभी न होता
रहता हमेशा ताजा
फूल की मानिंद
खुशबू देता
आत्मा में
अविरत बहता।
*
7. प्रेम अमृत घोलता
प्रेम
अमृत घोलता
जीवन में,
गिराता
नफ़रत की दीवार,
महकाता सृष्टि को
चन्दन-सा
दिलों को जोड़ता
बढ़ाता
परस्पर प्यार।
*
8.आस्था
दीपक की लौ-सी
होती है आस्था
तम से बाहर
निकलने का
दिखाती है रास्ता
निराशा से नहीं
उसका कोई वास्ता।
*
9.अनुभव के मोती
जीवन की
सीपी में
अनुभव के मोती
पलते
जग को जगमग करते
भटकों को राह दिखाते
मंजिल तक ले जाते।
*
10. जीवन है अमूल्य
जीवन है अमूल्य
आबदार मोती
सदुपयोग इसका कीजिए
जलकर दीपक-सा
रोशन परिवेश को कीजिए
ख़ुद पहले मुस्कराइए
फिर औरों को मुस्कराने की
वजह दीजिए।
*
11.सत्य की साक्षी में
सत्य की साक्षी में
जीया है सतत जीवन
पवित्र अनुष्ठान की मानिंद
निराशा को नकारते हुए
आशा की आत्म-गंगा में
डुबकी लगाते हुए
समता और सद्भाव के
दीप जलाते हुए।
*
12. अभिनय
अभिनय है
एक जीवंत अभिव्यक्ति
अपने व्यक्तित्व को
प्रकट करने की,
अंदर के सत्य को
बाहर प्रकट करने की,
है ईमानदार कौशिश
एक धारदार प्रयास,
अपने विश्वास का है
सच्चा अहसास।
*
13. ज़िन्दगी चित्रशाला-सी
ज़िन्दगी है
अभिनय की
चित्रशाला-सी,
छाए रहते हैं इसमें
इंद्रधनुषी विविध रंग
जो उकेरते हैं
कलाकारों की
सफलता-असफलता की
जीवंत कहानी।
*
14.प्रतिस्पर्धा
वैसे तो यह भली है
पर ईर्ष्या की अग्नि से
जली है,
हर वक्त रहती है यह
किसी न किसी
उधेड़बुन में,
पर मेहनत के आँगन में
पली है
प्रतिस्पर्धा है नाम इसका
सोने की-सी डली है।
*
15. उजाले की किरण"
अंधेरे में भी होती है
उजाले की किरण
पर दिखाई देती नहीं
नकारात्मक सोच
रखने वालों को
देती है दिखाई
आशावादी लोगों को
जिनकी दृष्टि में
समाया रहता है
सदा लोकहित का भाव।
*
16.खिलेंगे कैसे गुलाबी फूल
खिलेंगे कैसे
गुलाबी फूल
रिश्तों में
यदि चुभाते रहे
हम उन्हें शूल
और गिनते रहे
उनकी भूल,
तोहफ़ा प्रेम का
कभी दिया नहीं
अच्छा व्यवहार
भूल कर भी किया नहीं
आँखें ही दिखाते रहे।
अधिकार ही जताते रहे।
*
पूरा पता
ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' आर.ई.एस.
पूर्व प्रिंसिपल,
1/258, मस्जिद वाली गली,
तेलियान मोहल्ला,नजदीक सदर बाजार सिरसा-125055(हरि.) संपर्क--094145-37902,070155-43276
ईमेल-gppeeyush@gmail.com
22.05.22.