एक वक्त था जब सोते थे तेरी बाहों में
और नींद से जागते थे रहकर आगोश में तेरी
फिर चाय की चुस्कियों संग बंटती थी बातें मेरी-तेरी
अब हो जाती है रात तुझे सोचते-सोचते
और सो जाते हैं यादों में तेरी
सुबह जागते हैं तो याद हो उठती है
वो वफ़ाएँ मेरी और वो झूठी बातें तेरी
-नादान लेखिका