वक्त की गुलक हाथ से फिसल पड़ी!!!
और!!! कुछ यादें बिखर गई।(२)
पांच पैसा जैसा मेरा वो बचपन,
चेहरे पे मेरी मुस्कान दे गया।
और!!!!!!कुछ यादें बिखर गई।
चवन्नी-अट्ठनी की वो उलझने,
यारो की दास्तान सुना गया।
वक्त की गूलक हाथ से फिसल पड़ी!!!!!!
और !!! कूछ यादे बिखर गई (२)
वो रुपया अपने आपे में कहां था।
दिल कि धड़कन आज भी बढ़ा गया❤️
और कुछ यादें बिखर गई।
समेट सारी यादें
वक्त कों दे आऊ!!!!!
और फ़िर अमीर हो जाऊ।
मेघा...