आज हमें बरबस ही सड़क की याद आ गई,,याद आकर दिमाग मे ऐसे समा गई,,की हम,,,जूते पहन मास्क लगाए,,निकल पड़े गली भ्रमण को,,,
थोड़े आगे ही चौक पर हमें कुछ वर्दी वाले महाशय दिखे,,,
उन्हें देखते ही हम वहाँ से ऐसे फिसले की सीधे एक तंग गली में दिखे,,,
उस गली के अंत मे हमे एक सिसकी सुनाई दी,,,
हमने भी अपनी झांकी उसी ओर बढ़ाए दी,,,,
उस ओर हमे एक हरा सा मानव दिखा था,,,,
हमने गोर किया तो उसके सर पर कोरोना लिखा था,,,,
उसे पढ़ते ही शरीर के रोम रोम पसीने से भर आए,,,
हम अपने बाहर निकलने के पिलान पर बहुतै पछताए,,,
हमने पैर पीछे भागने की योजना थी बनाई,,,
तभी हमारे कानवा में एक आवाज दी सुनाई,,,
कोरोना
भाई थक गए होंगे थोड़ी देर सुस्ताई लो,,,
घर जाके तो बोर हुइहो,तनिक हमसे ही बतियाईलो,,,,
हम उसकी आवाज सुने तो उसकी तरफ ही घूम लिए,,,
हालात पतली,चहरा उतरा,लाठी की वो टेक लिए,,
हम उससे पूछ ही लिए,की "भाई डेढ़ साल में तुम्हारी कछुआ से चीते की चाल हो गया,,,
पर अब जे तुम्हारा का हाल हो गया,,,
कोरोना रोते हुए बोला " का बताएं भैया हम तो खुश थे चमगादड़ में,,फिर कोनों ने चमगादड़ खा लिया,,,
हम नही आए कोनो के घर ,ऊने खुदही हमका बुला लिया,,,,
हम बोले ,,जो भी तुमने कहि है ,,,
जे बात बिल्कुल सही है,,,,
हम तुम्हाई बात समझते हैं,,
पर तुम्हाए नैन काए बरसते हैं,,
कोरोना
का बताए भैया,,दो दिनों से कछु नई खायो,,,,
इंसान तो छोड़ो बाको कुत्ता भी बाहर नई आयो,,,,
अब तो मरनेई बाले है तो सोचा तनिक कोई से बतियाई लें,,,,
कोनो को अपना दरद सुनाई दे,,,
अब तो जीने की हिम्मत ही टूट गई,,,
फैलने की शक्ति तो पीछेई कहीं छूट गई,,,
जे मोदी ने लोगों है का सुधार दिया,,,
हमे तो जे लॉक डाउन नेई मार दिया,,,,
.....