सबसे पहले में इंसान हु
में मंदिर भी हु और में मस्जिद भी हु।
में पूजा भी हु और अजान भी हु।
पर सबसे पहले में इंसान हु।
में राम भी हु और रहमान भी हु ।
में स्मशान भी हु और कब्रस्तान भी हु।
पर सबसे पहले में इंसान हु।
में पाठशाला भी हु और मदरसा भी हु।
में गीता भी हु और कुरान भी हु।
पर सबसे पहले में इंसान हु।
में पुजारी भी हु और मैं काज़ी भी हु।
में फैसला भी हु और मैं फरमान भी हु।
पर सबसे पहले में इंसान हु।
Chirag dhanki