अजब सी कशमकश है जाने न
लगता नही दिल कहीं ये माने न
यादे हैं घुमड़ती जो बड़ा सताती
शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न
अजीब दास्तां बना इश्क़ हमारा
हालाते- रंज किसी को सुनाने न
सुलगते अंगारे सीने में दहकने दो
दर्द सही पर कोई आये बुझाने न
सम्भाल के रखा है मोहब्बत तक
दिया तोहफा तेरा कभी भुलाने न
कुछ खट्टी कुछ मीठी बातों के ख़त
पास में हमारे अमानत हैं जलाने न
दूर हुए हम दोनों कसूर था जो तेरा
ख़ामोश हुए लब जो अब बताने न
-ALOK SHARMA