रिश्तों की सच्चाई
कैसे बीतेगा जीवन अपनों की बेवफ़ाई में।
नींदें आती हैं कहां महबूब की तन्हाई में।।
कैसे बीतेगी यूं जिंदगी मुहोब्बत की बेवफ़ाई में।
नींद अब आती है कहां महबूब की तन्हाई में।।
इक-इक इंच धरती पर कैसे मां-जाए लड़ जाते हैं।
मोह माया में डूबे बैठे हो इस कलयुगी गहराई में।।
रिश्तों में अपना हिस्सा तो मांगकर देखिए "ज्ञानेश"।
हक़ीक़त नज़र आ जायेगी रिश्तों की सच्चाई में।।
ज्ञानेश्वर आनन्द ज्ञानेश किरतपुरी
कर एवं राजस्व निरीक्षक