🌹🌹💝💝 मोहब्बत कैसी! 💝💝🌹🌹
" वो मुझसे दूर रहकर खुश हैं
तो शिकायत कैसी!
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूँ
तो मोहब्बत कैसी!
हाँ शायद वो भूल चुके हैं मुझे
गर हम भी उन्हें भूला दें
तो चाहत कैसी!
डूबकर उनके ख़्यालों में मुझे
जो सुकून ना मिले
तो राहत कैसी!
कभी लिखतें थे वो गजलें मेरी तारीफ़ में
जाने मेरे लिए दिल में उनके
थी हसरत कैसी!
अब मैं अपनी नज्मों-नग्मों में उनका ही
ना करूँ गर ज़िक्र भी
तो इबारत कैसी!
कभी मुझे खुदा बनाकर उन्होंने किया
हर बार सजदा मेरा
थी इनायत ऐसी!
अब मैं उन्हें अपना रब बनाकर दिल से
ना करूँ गर सजदा
तो इबादत कैसी!
वो मुझसे दूर रहकर खुश हैं
तो शिकायत कैसी!
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूँ
तो मोहब्बत कैसी! "
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