आजकल तुम मुझे
बेहद याद आते हो..
यूँ तो हमारी शामें अक्सर
गुज़रती हैं साथ में
फिर भी ख़्वाबों में
तुम सताते हो
हर सिम्त रोशन हो
आफ़ताब से
शब-ए-महताब से
तुम ही नज़र आते हो
नाउम्मीदी जब भी
घेरती है दिल को
उम्मीद बनकर तुम ही
मुस्कराते हो
हर घड़ी तुम्हारी
ज़रूरत सी महसूस होती है
लम्हा -लम्हा मुझे
तड़पाते हो
आजकल तुम मुझे
बेहद याद आते हो....।
-मधुमयी