Neerja Pandey लिखित कहानी "नैना अश्क ना हो... - 1" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
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पढ़ कर हुआ द्रवित हृदय,नैना मेरे ना शुष्क रहे,
ना होई कोई शाश्वत बलिदान, ना किसी नव्या के अश्क रहे।
मै लिखना नहीं जानती, बस पढ़ने कि शौकीन हूं। ऐसा पहली
बार हुआ पढ़ते पढ़ते मेरी आंखे गीली हो गई।
इतनी भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।