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#अस्पष्टता ( दोस्त की दोस्ती के लिए पाती)
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क्या मांगू तुझसे मेरे दोस्त,
जब मेरे जीवन का मकसद ही #अस्पष्टता लिए हुए था,
तब तेरे जीवन की अदभुत शक्ति ने ही तो मेरे जीवन को एक धारा दी ,
जिसका एक किनारा तूने पकङा और दूसरा किनारा मुझे पकङाया ,
कैसे भूल सकता हूँ तुझे
शायद तेरी जिन्दगी धरती की गोद में है ही इसलिए कि तू हर पल मुझे संभाल सके ।
मेरी हर सांस मे तेरी ही महफिल सजती है ,यदि तू न होता तो ये सांस उखङ गई होती , और मेरा वजूद खत्म हो जाता ,
इसलिए ईश्वर ने तेरे रूप मे मुझे जो नेमत दी उसने इतना धनवान बना दिया कि ,
अब तू ही बता मै तुझसे क्या मांगू ।
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