समझदार दादाजी
"अरे! दादाजी ये आप गाँव के बाहर बैठकर आप ये क्या कर रहे हैं? जो भी शादी के कार्ड आते हैं उसे यूँ खंभे पर क्यों टांग रहे हैं? " रोहित ने साइकिल रोक कर रामफल दादा जी से पूछा ।
"बेटा कोरोना ऐसी महामारी जो बहुत तेजी से फैल रही है और मैं नहीं चाहता कि मेरे गांव का कोई भी इस महामारी के चपेट में आये । इसलिए मैं सभी कार्ड की फोटो खींच कर जिसका कार्ड होता है उसे व्हाट्सएप कर देता हूँ ताकि वो लोग ऑनलाइन आशीर्वाद देकर अपना फर्ज निभा सकें और बीमारी से भी बच जायें " दादा जी ने मुस्कुराते हुए कहा ।
"किंतु दादा जी आप भी तो इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं!!! " रोहित ने फिर से पूछा।
"अरे बेटा मेरा क्या है! मैं तो अपनी जिंदगी जी चुका हूँ।" दादा जी ने कहा और फिर अपने काम में व्यस्त हो गये ।
एमके कागदाना©
फतेहाबाद हरियाणा