हो इंसान तो इंसानियत से न खेलो,
है दिल में जो,वही करो और बोलो,
ज़िन्दगी गुज़र जाती है रिश्ते निभाने में,
सच्ची अच्छाई से दिलों को जीत लो।
जो हैं मजबूर, उन्हें और न लूट लो,
आज ताक़त है तो उसका यूं न छूट लो,
संवरती है एक ज़िन्दगी,खुश होता दिल,
इस जज्बे से ही दिलों से सेल्युट लो। (शाहीन)