# बेबसीं
किनारों की बेबसीं तो देखियें।
कहने को तो नदी का हिस्सा हैं।
फिर भी, सदियों से प्यासे हैं।
उसकी गहराई छूने को।
किनारों में ही समाया,
उसका वजूद हैं पर,
नदी को कहा ये अहसास हैं।
किनारे.......
अब करें भी तो कयां?
चाहकर भी जूदा हो नहीं सकते।
उसका हिस्सा जो ठहरे।
उसमें समां नहीं सकते।
जूदा हो नहीं सकते।
-Mamta b.