ऐ पिता तुम्हे शत-शत वन्दन,
अभिन्दन है शत अभिन्दन ।
तुम सागर से गम्भीर रहे ,
मन पीडा. तल मे छिपा रहे।
तुम बने रहे अम्बर समान ,
सबकी हरते पीडा महान ।
अपने तन की परवाह न कर ,
श्रम करके काटे तीन प्रहर ।
वो दिन भी मुझको याद अभी ,
दी प्यार की पुचकी, डाट कडी. ।
नव नीति सिखाकर दिया ग्यान ,
मै हूँ नत मस्तक ससम्मान ।
#जवळपास