मेरा मरना तो अब तय है
फिर काहे का मुझे भय है
यमदूत मिले या यम आवे
उन्हें हाथ जोड़कर जय है
अभिलाषा को मूल शांत कर
चिंतन पल पल करता हूँ
मृत्यु जैसी प्रलयंकारी बाधा
से कुछ डरा डरा सा रहता हूँ
ज्यों ज्यों सन्मुख मृत्यु आवे
घुट घुट सांसे चलती है
बचपन की सारी बीती बाते
प्रत्यक्ष अक्ष से दिखती है
तुम्हें एक-एक पल ऐसे लागे
फिर मानो जैसे सुखी धरती
तुम बूंद बूंद को तरस रहे हो
और सामने हो बह रही नदी
तुम करुण व्यथा में चीत्कार कर
'पाहि माम्' फिर कहते हो
इस माया की भ्रमित धरा पे
क्यूँ वपु की लालच करते हो
फिर थक कर निर्णय लोगे तुम
कि मर जाना सबसे अच्छा है
मायूस मुखों पे फुल्लित चित कर
अलविदा धरा को करते हो
अब मातृ प्रेम की बेला आई
मां चीख चीख कर रोयेगी
फिर नयनो की अस्क मुखों पे
फिर अश्रु धरा प्रवहेगी
सब रोयें और चिल्लायेंगे
जब मैं मिट्टी बन जाऊँगा
फिर छोड़ के मैं इस धरती को
न लौट के वापस आऊँगा
#avii .....
जो जन्मा है उसे एक न एक दिन मरना ही है इसलिए जो भी समय तुम्हारे पास है उसमें कुछ अच्छा कर जाओ जिसके लिए दुनियां तुम्हें एक मिसाल के रूप में याद करे।