#KAVYOTSAV -2
वो लड़की!!
उसके सपनों के गलियारे में आज भी आती है
चुपचाप सी घूमती हुई एक लड़की।
फुसफसाते हुए अरमान लिए।
गहन संवेदनाओं से घिरी हुई,
मन पर लादे हुए हिदायतों का बोझ।
मन में बस एक चाह,
शिक्षा की उंगली पकड़कर
अपनी पहचान बनाने की।
जो कि उसके लिए आसान कतई नहीं था।
गरीबी की तंग गलियों में
सपने अक्सर टूटा करते है,
खासकर लड़कियों के।
उनके सपने अक्सर परिवार को
काला नाग दिखाई देते है।
वे उनका फन अधिकतर कुचल दिया करते है।
फिर भी उसने अपनी अद्भुत बुद्धि
की रोशनाई झोपड़ी में फैलाई,
और मन की फटी चादर पर,
अपने सपनों का पैबंद लगाकर बढ़ चली।
उसके मन पर था,
हिदायतों का बोझ
जो कभी उतरा ही नहीं।
दिमाग में लक्ष्य के लिए सतर्क नसें।
शरीर पर था दबाव
कम आक्सीजन में पहाड़ चढ़ने की तरह।
इसके बावजूद भी अपने अटूट
और अथक प्रयासों से,
उसने अपनी मंजिल को पाया।
उम्मीदों के शिखर पर उसने
बुद्धिमत्ता का ध्वज फहराया।
आज भी जब वो करती है
आसमानों की सैर,
नहीं भूलती उस धूमिल सी
दुविधाओं से घिरी लड़की को।
सपनों में भी उसे वो ही
निरीह लड़की दिखाई देती है,
जो अपने घायल से मन पर,
सपनों का लेप लगाया करती थी।
कविता नागर।