Hindi Quote in Poem by Dileep Kushwaha

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#kavyotsav -2
#चुनाव और आम आदमी
नींद खुलते ही हाथ अख़बार पर गये
हाथ तो नही जला पर आँख झुलस गये
ये सियासी आग की तपन थी
सारे अख़बार के कोने-कोने में फैली थी
किसी के जुबान फिसल रहे है
किसी के शब्दों में जाल बिछा है
दूसरे को बुरा खुद को महान कह
हर तरह से लुभाने का प्रयास हो रहा हैं
लगता है चुनाव के दिन चल रहा है
अजब सी बेईमानी थी सबके दिमांग में
झूठ, छलावा के सिवाय कुछ नही था उन सब में
धर्म के नाम पर देश को खोखला किये जा रहे है
क्या धर्म और तुच्छयता की राजनीति ऐसी ही रहेगी
मन स्तब्ध हो गया
मैने अख़बार तेजी से टेबल पर रखा
और आँखों पर ठंडा जल डाला
तपिश तो कम हुई
पर मन फिर अशांत था।।

Hindi Poem by Dileep Kushwaha : 111166905
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