#kavyotsav_2
शहर गये थे क्या लाये हो?
पूछ रहा है गाँव मेरा
बगिया के हर पेड़ ओ जिस पर
उछल-कूद किया करते थे
अपने दोस्तों के साथ तू
हर खेल जो यहाँ खेला करते थे
बच्चपन तो अच्छा था तेरा
जवानी कैसे काटे हो?
शहर गये थे क्या लाये हो?
पूछ रहा है गाँव मेरा
पहले बहुत निर्भीक लगते थे
आज खुद से ही डरे-डरे क्यों हो?
उदासी के घने जाल में
आज इतना जकड़े क्यों हो?
हममें अभाव थी हर वस्तु की
शहर में शायद सब कुछ वह पाये हों
शहर गये थे क्या लाये हो?
पूछ रहा है गावँ मेरा
प्राचीनता थी गावँ की सभ्यता
आधुनिकता शायद तुम लाये हो
गिल्ली-डंडा, क्रिकेट खेलते थे
अब भावनाओं से खेलने आये हो
इतना सब कुछ अच्छा था तो
क्यों शहर छोड़ गावँ आयें हो?
शहर गये थे क्या लाये हों??
सब समझ रहा है गावँ मेरा