#kavyotsav -2
#प्यार की समझ
क्या होता है प्यार?
मैं उस दिन जाना
आयी थी ओ मिलने
गुलाब जैसे होंठो पर मुस्कान लेके
सुन मेरे ब्रेक अप की दास्तान
बहने लगा था यूँ ही
उसके कोमल सुर्ख आँखों से
जल की बेगमयी धार
बैठी थी सामने ओ
रोते हुए छोटे से बच्चें की तरह
देख रही थी मेरे तरफ
उस भावना से
शायद कह दू मैं
मजाक था पागल
पिघल गया था मैं भी
उसके आंसुओं की बारिश देखकर
पर कह न सका
अब फिर प्यार हो गया है पागल
जाते हुए मुड़ कर देखना
जैसे तीक्ष्ण बाणों से आहत करना
सो न सका पूरी रात
शायद कुछ दुखी और मायूस था
प्यार क्या है?ये समझ उस दिन आया था।