#काव्योत्सव_भावनाप्रधान_कविता
मां
धीमी तपती आंच सा
है मां प्यार तुम्हारा
शीत में गर्मी का एहसास
है मां प्यार तुम्हारा..
धूप छांव जिंदगी की
सताती रही बहुत हमेशा
पर कभी न उतरा दिल से
ममत्व का खुमार तुम्हारा..
रेगिस्तान की मरू में
बुझाती है प्यास जो
ऐसा रिमझिम फुहारों सा
मेघों का है राग तुम्हारा..
जीवन पथ की बगिया में
कांटों की शैय्या पर भी
फूलों की खुशबू सा महके
हरदम लाड दुलार तुम्हारा..
धीमी तपती आंच सा
है मां प्यार तुम्हारा
शीत में गर्मी का एहसास
है मां प्यार तुम्हारा.. सीमा भाटिया