#पलाश
गिर गए जब पत्ते वृक्षों के,
तब लद गए पुष्प पलाश।
कानन की आभा भी निखरी,
जब दहके पुष्प पलाश।
बसंत के सदा स्वागत उत्सुक,
रहते पुष्प पलाश।
बिना नीर के भी पनपें ये
मनमौजी वृक्ष पलाश।
केसरिया सी आभा शोभित
करते पुष्प पलाश।
मन मेरा तुमसा हो जाए,
तुम ही बसंत पलाश।
कविता नागर