हिन्दी दिवस पर देश वासियों को गौरवमयी हार्दिक शुभकामना । ???
-: कविता की मौत :-
१-
एक कवि ने ज़बान खोली
" श " - " ष " को मिलाकर " स " किया ।
कविवर की बिगड़ी बोली ,
जैसे बीवी की कोई सौत हुई ।
बस इसी क्षण हिन्दी कविता की मौत हुई ।
२-
ऊल जुलूल जब कोई पढ़ता ,
ऐसे कवि से मैं डर जाती हूँ ..
साहित्य का है दम घुटता ,
मैं कवि सम्मेलन में ही मर जाती हूँ ।
३-
वर्णमाला हिन्दी की थोड़ा सीखो
शब्दकोष का विस्तार करो ,
" श -स - क्ष " में फर्क सीखो
कविता का स्वच्छ शुद्ध शृंगार करो ।
४-
शनै: शनै: साहित्य खत्म होता आजकल स्कूलों से,
हिन्दी कविता का जैसे सीना चीरा हो ,
बरछी तीर त्रिशूलों से ।
दुकानें चल रही हैं बस अंग्रेज़ व्यापारी की ।
आत्मा कहीं रोती होगी मैथिली, निराला, प्रसाद , रामधारी की ।
☆ ५४ - H"-65
✍By :- surya rawat