जुगनू
टिमटिम करता मन का जुगनू,
जब जीवन में हो अंधेरा,
निराश नहीं होना है,साथी
रात के बाद आता है,सबेरा।
मन में सुंदर भाव जगाता,
दिशा दिखाकर फिर उड़ जाता,
भावों को देता है प्रकाश,
उड़े चलो जहाँ अनंत आकाश।
कृत्रिमता की नहीं है छाया,
ये प्रकाश स्वयं से आया।
सुंदर मद्धिम विशिष्ट प्रभा,
मन की भी हो ऐसी आभा।
कविता नागर