अनुभव..
लिखती हूँ, अनुभव जीवन के,कुछ सुलझे कुछ उलझे मन के..
जिंदगी है,एक किताब कि हर पन्ना कुछ कहता है,
ये पन्ने पलटते जाते,रह जाते अनुभव जीवन के,
कुछ पन्ने सुनहरे चमके,हाँ कुछ रह जाते धूमिल से..
लिखती हूँ, अनुभव जीवन के,कुछ तेरे,कुछ मेरे दिल के।
कभी कभी आंधी सी आए,ये पन्ने कैसे फड़फड़ाए..
होता तुषारापात कभी तो,कैसे ये जीवन मुरझाए।
किसी किसी को दे जाते है,बहुत ही कटु अनुभव जीवन के..
जिसका कोई संगी ना साथी,ये साक्ष्य उसके अकेलेपन के।
लिखती हूंँ अनुभव जीवन के तेरे मेरे पाणिग्रहण के।
तेरी मेरे इस प्रेमांकुर के,और.पल्लवित आशावृक्ष के।
जीवन की इस यात्रा में ये गवाह, मन की उलझन के..
लिखती हूँ, अनुभव जीवन के,कुछ प्रौढ़ के,कुछ बचपन के।कुछ शीत ऋतु से ठंडे, और कुछ ग्रीष्म सी तीखी चुभन के।
कविता नागर