मैं और मेरे अह्सास
खामोशी
कब से दिलों दिमाग में सवाल था l
क्या मेरी जुदाई में जीना मुहाल था?
चैन सुकून से बड़े मजे से जी रहे थे l
क्या ये सच है या तेरा मजाक़ था?
छोटी सी बेतुकी बात पर नाराजगी में l
क्या लम्बी खामोशी ही तेरा जवाब था?
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह"सखी"