ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी की समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी की समझ ना आती है।
बेचैन सी होकर ये अक्सर,
विरह के पल बिताती है।
हर घड़ी किसी के इंतजार में ये,
कभी पलकें बिछाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी की समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती है।
आंसू बहा के ये अक्सर,
हाल ए दिल बता जाती है।
नेनौ ही नेनौ मे ये अक्सर
बिना कुछ कहे अपना हक जता जाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी की समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती है।
कभी बिना कुछ बोले,
अनकहे जज्बात समझा जाती है।
कभी सुन के इकरार
ये खुद शरमा जाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी को समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती है।
तो कभी करने को घायल
ये तीर चलाती है।
इश्क का उलझा सा
मायाजाल बिछाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी को समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती है।
खुश हो तो ये
अपनी चमक से एहसास दिलाती है।
हो गम तो खुद हीं
ना जाने क्यों मुरझा सी जाती है।
ये नेनौ की भाषा है जनाब,
हर किसी को समझ ना आती है।
ना जाने कैसे भ्रम में उलझा
मायाजाल में फंसाती