मैं और मेरे अह्सास
जब से जिंदगी में खुशहाली आई हैं l
तब से चैन ओ सुकून की साँस पाई हैं ll
हुस्न की मुनव्वर महफिल में सरे आम l
आज दिल ने खुशनुमा गज़लें गाई हैं ll
चांद सितारों से आसमान में नूर सजा l
शब उसके मिलन की तमन्ना लाई हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह