दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*मौसम, बदलाव, कुनकुन, सूरज, धूप
मौसम कहता है सदा, चलो हमारे साथ।
कष्ट कभी आते नहीं, खूब करो परमार्थ।।
जीवन में बदलाव के, मिलते अवसर नेक।
अकर्मण्य मानव सदा, अवसर देता फेक।।
कुनकुन पानी सामने, शुभ होता इसनान।
कृष्ण कन्हैया कह रहे, कर न, माँ परेशान।।
सूरज कहता चाँद से, मैं करता विश्राम।
मानव को लोरी सुना, कर तू अब यह काम।।
कर्मठ मानव ही सदा, पथ पर चला अनूप।
थका नहीं वह मार्ग से, हरा सकी कब धूप ।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*