मैंने कभी उनको समझा ही नहीं
क्यों की उन्होंने कभी समझने का मौका ही नहीं दिया
इलज़ाम तो यु लगाते हैँ मुझ पर
मानो कितने राज़ बताए हो
वक़्त आएगा तो बताएँगे.. हमेशा यही कह कर टाल देते हैँ
अब आलम यह हैँ के वक़्त तो बहुत हैँ मुझे सुनने को
पर उन्हें वक़्त ही कहाँ मुझे अपना वक़्त देने के लिए
चुप हो कर वही इंतज़ार देखती हूँ
जहाँ उन्होंने कहा था
मैं तुम्हे कभी अकेला नहीं छोडूंगा
वही वक़्त अपने हाथो मे देखते हुए
पूरी शाम गुज़र जाती हैँ!!!
- SARWAT FATMI