मैं और मेरे अह्सास
जाम ए मुहब्बत चढ़ती जा रही हैं धीरे धीरे l
दिल की धड़कन बढ़ती जा रही हैं धीरे धीरे ll
जहाँ जा रहे हो वहाँ दुनिया से छुपाकर l
निगाहें साथ चलती जा रही हैं धीरे धीरे ll
कैसे भी हो किस तरह से बस आ जाओ l
सुहानी शाम ढलती जा रही हैं धीरे धीरे ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह